हमारे गाँवों के जीवन, रहन-सहन, बचपन के खेलों व गाँव में बितायी जिंदगी के अनुभवों पर हिन्दी कविता

Hindi Kavita on Life of Village | गाँव के जीवन पर रोचक कविता

मेरा गाँव बिल्कुल नही है शहरों जैसा,

मेरा गाँव बिल्कुल नही है अब पहले जैसा,


सड़को पर चलती थी,

कुछ ही मोटर गाड़ी,

आवाज से ही पहचान लेते थे,

आ रही है किसकी गाड़ी।


स्कूल दूर थे,

पर परवाह किसको थी,

घर लौटते वक्त तो,

पल्क छपकते ही खाने की रसोई में होते।


बात इतनें में कहाँ रूकती है, मेरे गाँव की

सुरख मिट्टी जब पूरे बदन पर लिपट जाती,

शाम ढल कर रात बन जाती,

खेल तब तक जाते थे खेले।

ऐसा था मेरा गाँव।


मंगरो से पानी लाना,

और आधे-अधूरे मन से राहगीरो को पिलाना,

घर पहुँच कर आधे भरे डब्बो को चुपके से सरका देना,

जहाँ होता था ये सब, वह हे मेरा गाँव।


रास्ते पक्के थे, कच्चे थे,

कुछ उच्चे, कुछ नीचे थे,

किसको फर्क पड़ता था,

हमको तब बचपन के पंख लगे थे।


वह कौन सा खेत, कौन सा चौक रहा होगा,

जिसको छोड़ा हो हमारे अतरंगे खेल खिलौनों ने,

लाखो बातें सुनकर, सब कुछ अपने में समेट लेना,

जहाँ मन में नही था कोई बैर, वह हे मेरा गाँव।


शाखों पर कोपल आते,

और फिर फूलो से लदी हरी शाखाएँ लहराती,

बारिस होती, और अगले दिन तक पत्ते टिप-टिप पानी बरसाते,

और फिर पत्ते नीचे गिर मिट्टी बन जातें,

जहाँ दिख जाती थी,  सारी ऋतुएँ

वह हे मेरा गाँव।


जीवन मानों प्रकृति की देन थी,

हम सबको इसका एहसास भी था,

जहाँ हर बात का जुदा अंदाज था, 

वही तो मेरा गाँव था.

वही तो मेरा गाँव था।

Hindi Poem on Life of Indian Village, गाँव की जिंदगी पर कविता


गाँव में जीवन बिताना एक बहुत ही खास अनुभव होता है, गााँव में जीवन शहरो की भाग-दौड़ से बहुत दूर व नेचर के बहुत पास होता हैं। ऐसे ही अनुभवों को समेटें यह कविता यदि आपको पसंद आती है, तो कमेंट बॉक्स में ्अपने विचार जरुर शेयर करे।


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जिंदगी पर कविता - जीवन के संर्घषो, अनुभवओं, प्रेम, ईष्या, कार्यों, जीत-हार पर लिखी बेहतरीन कविताएँ


हमारी जिंदगी से जुड़े अनुभवो व अहसासो से आपके लिए यह बेहतरीन Hindi Poetry On Life लिखी गई हैं। संर्घषो से भरे जीवन की कहानी ही हमको प्रेरणा देती है, इसलिए यह सभी हिन्दी कविताएँ आपको बहुत पसंद आयेंगी।


1. Kavita on Life of Child Labor | बाल मजदूर की जिंदगी के संर्घष पर कविता

अकल कुछ ही तो आयी थी,

समझ अब भी ना आयी थी,

मैं जाता था काम करने क्यों,

जब उम्र थी पढाई की।


घर में माँ-बाबा भी रहते थे,

कहने को मैं सबसे छोटा था,

ये ऐसी कैसी बस्ती थी,

जहाँ बचपन नहीं आता था।


काम करना और घर आना,

ये भी कहाँ नसीब होता,

न जाने कब नशे से दोस्ती कर ली,

न जाने कब जिंदगी से दुश्मनी कर ली।


मैं नहीं चाहता था ये सब कुछ हो,

पर मेरी कौन सुनता था,

करता तो मेहनत था,

पर क्या ये मेरी उम्र थी काम करने की?


न किसी से बालपन रूठे,

न किसी से शिक्षा का अधिकार छूटे,

ऐसा हर कोई कहता है,

पर क्या ये सच में होता है?


Hindi Poem On Life, Hindi Poetry on Life

2. Hindi Me Kavita on Life of Farmer | किसान की जिंदगी पर हिन्दी कविता

खुशहाली देश में लाता है,

हरियाली खेतों में लाता है,

फिर न जानें क्या होता है,

एक किसान जिंदगी की जंग हार जाता है।


मेहनत से जो नहीं डरता,

प्रकृति के संग जो जीता,

उम्मीद करने में क्या बुरायी है,

कि एक दिन मेहनत रंग लायेगी।


फिर जब फसल बेचने का दिन आता,

वो खिलोना मंडी का बन जाता,

इधर जाता उधर जाता,

और मजबूरी में घाटे का सौदा कर आता।


घर उसको भी चलाना है,

बच्चों को भी पढाना है,

सामाजिक जिम्मेदारी,

सौ जगहों पर जाना है।


महंगाई की मार पडती है,

मेरा भाई टूट जाता है,

जरूरत पूरी करने को,

साहूकार के जाल में फँस ही जाता है।


जिंदगी में पहले ही मुस्किल थी,

ये ॠण उसको खूब सताता है,

फिर एक दिन ऐसा आता है,

ये धरती का लाडला हार जाता है।


3. Best Hindi Poem on Life of Labour |  हिन्दी कविता श्रमिक जीवन पर

सपनों को आकर जो देता,

देश को विकास जो देता,

बोझ कन्धों पर रहे हमेशा,

पर कर्म करने से कभी न डरता।


जिंदगी मुश्किल भले हो,

कभी न रुकता, कभी न झुकता,

जरूरतें चाहे हो जितनी,

अपनी मेहनत से सपनों को साकार है करता।


बेहरूपी को इनाम मिले यहाँ,

मेहनत को सम्मान नहीं,

इज्जत उसको मिलती है

जिनके कपड़ों की सान बड़ी।


सर्दी, गर्मी, या हो बारिस,

मुझको हर ऋतु एक सी है,

काम पर ना जो एक दिन जाता,

उस दिन का पगार नहीं।


बढता हूँ, लड़ता हूँ खुद से,

संघर्ष भरा ये जीवन है।

कहने को सब काम में करता,

सम्मान भरे शब्दों से वंचित रहता हूँ।

4. Hindi Poetry on Life of Indian Village | गाँव के जीवन पर रोचक कविता

मेरा गाँव बिल्कुल नही है शहरों जैसा,

मेरा गाँव बिल्कुल नही है अब पहले जैसा,


सड़को पर चलती थी,

कुछ ही मोटर गाड़ी,

आवाज से ही पहचान लेते थे,

आ रही है किसकी गाड़ी।


स्कूल दूर थे,

पर परवाह किसको थी,

घर लौटते वक्त तो,

पल्क छपकते ही खाने की रसोई में होते।


बात इतनें में कहाँ रूकती है, मेरे गाँव की

सुरख मिट्टी जब पूरे बदन पर लिपट जाती,

शाम ढल कर रात बन जाती,

खेल तब तक जाते थे खेले।

ऐसा था मेरा गाँव।


मंगरो से पानी लाना,

और आधे-अधूरे मन से राहगीरो को पिलाना,

घर पहुँच कर आधे भरे डब्बो को चुपके से सरका देना,

जहाँ होता था ये सब, वह हे मेरा गाँव।


रास्ते पक्के थे, कच्चे थे,

कुछ उच्चे, कुछ नीचे थे,

किसको फर्क पड़ता था,

हमको तब बचपन के पंख लगे थे।


वह कौन सा खेत, कौन सा चौक रहा होगा,

जिसको छोड़ा हो हमारे अतरंगे खेल खिलौनों ने,

लाखो बातें सुनकर, सब कुछ अपने में समेट लेना,

जहाँ मन में नही था कोई बैर, वह हे मेरा गाँव।


शाखों पर कोपल आते,

और फिर फूलो से लदी हरी शाखाएँ लहराती,

बारिस होती, और अगले दिन तक पत्ते टिप-टिप पानी बरसाते,

और फिर पत्ते नीचे गिर मिट्टी बन जातें,

जहाँ दिख जाती थी,  सारी ऋतुएँ

वह हे मेरा गाँव।


जीवन मानों प्रकृति की देन थी,

हम सबको इसका एहसास भी था,

जहाँ हर बात का जुदा अंदाज था, 

वही तो मेरा गाँव था.

वही तो मेरा गाँव था।

Hindi Poem on Life, जिंदगी पर कविता




एक मेहनती मजदूर के जीवन के संघर्षों, सपनों, व परिवार की उम्मीदों पर लिखी Best Hindi Poem on Life of Labor


Hindi Poetry on Life of Labor - मजदूर की जिंदगी पर कविता

सपनों को आकर जो देता,

देश को विकास जो देता,

बोझ कन्धों पर रहे हमेशा,

पर कर्म करने से कभी न डरता।


जिंदगी मुश्किल भले हो,

कभी न रुकता, कभी न झुकता,

जरूरतें चाहे हो जितनी,

अपनी मेहनत से सपनों को साकार है करता।


बेहरूपी को इनाम मिले यहाँ,

मेहनत को सम्मान नहीं,

इज्जत उसको मिलती है

जिनके कपड़ों की सान बड़ी।


सर्दी, गर्मी, या हो बारिस,

मुझको हर ऋतु एक सी है,

काम पर ना जो एक दिन जाता,

उस दिन का पगार नहीं।


बढता हूँ, लड़ता हूँ खुद से,

संघर्ष भरा ये जीवन है।

कहने को सब काम में करता,

सम्मान भरे शब्दों से वंचित रहता हूँ।


समाज में मजदूरों को अपने अधिकारों व सम्मान के लिए हमेशा ही संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा ही एक दिन मजदूर दिवस है, जब हम इन कर्मयोगियों का सम्मान करते हैं। परन्तु यह पूरा सच नहीं है, और यह Hindi Poem on Life of Labor उस सच को आपके सामने लाता है।


Hindi Poem Image on Life of Labor

Hindi Kavita on Life of Labor, Hindi Poetry on Life of Labor

यह Hindi Poem Image उन पाठकों के लिए विशेषकर बनायी गयी है, जो कविताओं को इमेज के रुप में पढना पसंद करते हैं। यदि कविता पसंद आये तो अपने विचार जरुर शेयर करें।

Hindi Kavita on Life of Farmer - किसान के जीवन की परेशानी, बदहाली, लाचारी, मेहनत ओर उम्मीदों पर कविता

आजकल हमारे देश में किसान आन्दोलन कर रहे हैं, और किसानों पर सभी राजनैतिक दल वर्षों से राजनीति करते आये हैं, पर शायद ही कोई उनके जीवन के बारे में सोचता होगा। किसान परिवार से नाता होने की वजह से किसानों के जीवन पर एक सच्ची कविता लिख रहा हूँ, जोकि राजनीति से कोई संबन्ध नहीं रखती है। पूरी कविता पढें, आपको जरूर पसंद आयेगी।


कविता का शीर्षक - मैं किसान हूँ, खुशहाली बाँट कर खाली हाथ रह जाता हूँ।


खुशहाली देश में लाता है,

हरियाली खेतों में लाता है,

फिर न जानें क्या होता है,

एक किसान जिंदगी की जंग हार जाता है।


मेहनत से जो नहीं डरता,

प्रकृति के संग जो जीता,

उम्मीद करने में क्या बुरायी है,

कि एक दिन मेहनत रंग लायेगी।


फिर जब फसल बेचने का दिन आता,

वो खिलोना मंडी का बन जाता,

इधर जाता उधर जाता,

और मजबूरी में घाटे का सौदा कर आता।


घर उसको भी चलाना है,

बच्चों को भी पढाना है,

सामाजिक जिम्मेदारी,

सौ जगहों पर जाना है।


महंगाई की मार पडती है,

मेरा भाई टूट जाता है,

जरूरत पूरी करने को,

साहूकार के जाल में फँस ही जाता है।


जिंदगी में पहले ही मुस्किल थी,

ये ॠण उसको खूब सताता है,

फिर एक दिन ऐसा आता है,

ये धरती का लाडला हार जाता है।

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किसानों की जिंदगी के संघर्षों पर लिखी कविता किसान परिवारों से जुङे सभी लोग जरूर समझ पायेंगे। मेहनत हम सभी करते हैं, पर फिर सिर्फ किसान ही क्यों गरीब होता चला जा रहा है। कविता से संबन्धित अपने विचार जरूर शेयर करें।

यह Hindi Kavita on Life of Child Labor उस बच्चे के जीवन को बँया करती है, जिसको पढनें व खेलनें की उम्र में बाल मजदूरी पर लगना पड़ जाता है। बाल मजदूरी को बहुत करीब से महसूस करके यहाँ पंक्तियाँ लिखी गई हैं, जो आप सभी ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए प्रेरित करेगी।


Hindi Kavita on Life of Child Labor 

कविता का शीर्षक- जब कभी मैं सोचता हूँ

अकल कुछ ही तो आयी थी,

समझ अब भी ना आयी थी,

मैं जाता था काम करने क्यों,

जब उम्र थी पढाई की।


घर में माँ-बाबा भी रहते थे,

कहने को मैं सबसे छोटा था,

ये ऐसी कैसी बस्ती थी,

जहाँ बचपन नहीं आता था।


काम करना और घर आना,

ये भी कहाँ नसीब होता,

न जाने कब नशे से दोस्ती कर ली,

न जाने कब जिंदगी से दुश्मनी कर ली।


मैं नहीं चाहता था ये सब कुछ हो,

पर मेरी कौन सुनता था,

करता तो मेहनत था,

पर क्या ये मेरी उम्र थी काम करने की?


न किसी से बालपन रूठे,

न किसी से शिक्षा का अधिकार छूटे,

ऐसा हर कोई कहता है,

पर क्या ये सच में होता है?


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यदि आप कविताओं को इमेज में पढना व शेयर करना पसंद करते है, तो हम बाल मजदूरी पर लिखी यह पूरी कविता इमेज में भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

Hindi Kavita on Life of Child Labor, Hindi Poetry on Life of Child Labor

आशा है कविता आपको एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी, अपने विचार व अनुभव जरूर शेयर करें।


Gopaldas Neeraj Ki Kavitayen - Karvan Guzar Gaya, Hum Toh Mast Fakir, Mera Naam Liya Jayega Aur Geet - Likhe Jo Khat Tujhe, Khilte Hai Gul Yaha 


गोपाल दास नीरज को हम  पद्म श्री व पद्म भूषण सम्मानित श्रेष्टतम् साहित्यकार, कवि व शिक्षक के रूप में जानते है। आपको सहित्य जगत में  "नीरज" के नाम से ख्याती प्राप्त थी। यह हमारा एक छोटा सा प्रयास है कि हम आपकी कविताओं को आपने पाठको तक पहुचा सके। पहले हम कविताओं से शुरूवात करेगें, फिर नीरज जी का विस्तृत जीवन परिचय भी आप इस लेख में पढ सकते है।


इस Gopaldas Neeraj Poems collection में आप उनकी लिखी बहुचर्चित कविताएँ कारवां गुज़र गया, हम तो मस्त फकीर व मेरा नाम लिया जायेगा पढ सकते है। साथ ही साथ उनके लिखे सदाबहार गानो में से एक, लिखे जो खत तुझे व खिलते हैं गुल यहाँ की Lyrics भी आप पढ सकते है।


Gopal Das Neeraj Poems - Karvan Guzar Gaya (कारवां गुज़र गया)

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क़ बन गए, छंद हो दफ़न गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँ-धुआँ पहन गये,
और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली,
और हम लुटे-लुटे, वक्त से पिटे-पिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर, शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखर-बिखर,
और हम डरे-डरे, नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

माँग भर चली कि एक, जब नई-नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरण-चरण,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन-नयन,
पर तभी ज़हर भरी, ग़ाज एक वह गिरी,
पुंछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी,
और हम अजान से, दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
 

 Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Poems - Hum Toh Mast Fakir (हम तो मस्त फकीर)

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

रामघाट पर सुबह गुजारी, प्रेमघाट पर रात कटी
बिना छावनी बिना छपरिया, अपनी हर बरसात कटी
देखे कितने महल दुमहले, उनमें ठहरा तो समझा
कोई घर हो, भीतर से तो हर घर है वीराना रे।

औरों का धन सोना चांदी, अपना धन तो प्यार रहा
दिल से जो दिल का होता है, वो अपना व्यापार रहा
हानि लाभ की वो सोचें, जिनकी मंजिल धन दौलत हो
हमें सुबह की ओस सरीखा लगा नफ़ा-नुकसाना रे।

कांटे फूल मिले जितने भी, स्वीकारे पूरे मन से
मान और अपमान हमें सब, दौर लगे पागलपन के
कौन गरीबा कौन अमीरा हमने सोचा नहीं कभी
सबका एक ठिकान लेकिन अलग अलग है जाना रे।

सबसे पीछे रहकर भी हम, सबसे आगे रहे सदा
बड़े बड़े आघात समय के, बड़े मजे से सहे सदा
दुनियाँ की चालों से बिल्कुल, उलटी अपनी चाल रही
जो सबका सिरहाना है रे! वो अपना पैताना रे!

""हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।""

Gopal Das Neeraj Poems, Neeraj Poems

 Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Poems - Mera Naam Liya Jayega (मेरा नाम लिया जाएगा)

आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।

मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा


खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से, क्या इस तरह जिया जाएगा


काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा


जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब, हँसकर ज़हर पिया जाएगा

""आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।""

Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Likhe Jo Khat Tujhe (लिखे जो ख़त तुझे)

लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गए
जो रात आई तो, सितारे बन गए।

कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई

फ़िज़ा रंगीं अदा रंगीं, ये इठलाना ये शरमाना
ये अंगड़ाई ये तनहाई, ये तरसा कर चले जाना
बना दे ना कहीं मुझको, जवां जादू ये दीवाना

जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूँ तू सावन है
मेरी दुनिया ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है।

""लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गए
जो रात आई तो, सितारे बन गए।""

Hindi Film Song Written by - Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Khilte Hai Gul Yaha (खिलते हैं गुल यहाँ)

खिलते हैं गुल यहाँ, खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ...

कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके, डोला बहार का
चार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

झीलों के होंठों पर, मेघों का राग है
फूलों के सीने में, ठंडी-ठंडी आग है
दिल के आइने में तू, ये समां उतार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

प्यासा है दिल सनम, प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी-दबी, कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू, हर खुशी निसार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

""खिलते हैं गुल यहाँ, खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछड़ने को""

Hindi Film Song Written by - Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)


गोपालदास "नीरज" का संक्षिप्त जीवन परिचय

जन्म - 4 जनवरी, 1925
जन्म स्थान - पुरावली गाँव ( आज के इटावा जिला, उत्तर प्रदेश)
मृत्यु - 19 जुलाई, 2018 ( दिल्ली)

"नीरज" के नाम से ख्याती प्राप्त कवि, लेखक व गीतकार का पूरा नाम गोपालदास सक्सेना "नीरज" है। नीरज जी एक हिन्दी विषय के शिक्षक थे, आपका हिन्दी सहित्य व शिक्षा के प्रति असीम प्रेम व योगदान की वजह से पद्म श्री(1991) व षद्म भूषण(2007) से भी सम्मानित किया गया। आपकी अनेको उपलब्धियाँ में से एक फिल्म फेयर पुरस्कार से आपको 3 बार नवाजा गया।

यदि हम शिक्षा की बात करे तो जीवन के तमाम संर्घषो के बावजूद भी आपने अपनी पढाई रूकने ना दी, और 1949 मे 12वी पास करके 1953 हिन्दी साहित्य में एम०ए० की परिक्षा पास की। 

गोपालदास नीरज जी ने जहाँ एक ओर अनेको सदाबाहार हिन्दी गीत लिखे, उसी समय आप अनेको प्रसिद्ध काव्य संग्रहो की रचनाएँ करते रहे।  

गोपालदास नीरज ने कौन से काव्य संग्रह लिखे है?

नीरज जी ने अनेको काव्य संग्रह की रचना की है, जिनमें से कुछ इस प्रकार है:  आसावरी, कारवाँ गुजर गया, संघर्ष, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये, दर्द दिया है, बादर बरस गयो, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, दो गीत, लहर पुकारे, विभावरी, मुक्तकी।

गोपालदास नीरज ने कौन से फिल्मी गीत लिखे है?

नीरज जी ने बहुत से सदाबहार गाने हिन्दी फिल्मो के लिए अपने जीवनकाल  लिखे है, जिनमें से कुछ गीत यहँ है : आज मदहोस हुआ जाये रे, खिलते हैं गुल यहाँ, ऐ भाई जरा देख के चलो, दिल आज शायर है, आप यहाँ आये किस लिए, रंगीला तेरे रंग में, काल का पहिया घुमे भईयाँ, लिखे जो खत तुझे, सुबह ना आयी शाम ना आयी।

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गोपालदास नीरज जी को हमारी ओर से नमन। यहँ जानकारी व रचनाएँ आपको भी जरूर पसंद आयेगी।

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