पाँच साल में आता है,
ये चुनाव का मौका हर रोज नहीं आता है।
कुछ समझ को बढाओ, मेरे समझदारों,
इन नेताओं को इनका असली चेहरा दिखाने का मौका रोज नहीं आता।
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जब ये आये कैमरों के संग घर रोटी खाने,
तो इनकी एक थाली की कीमत जान लेना।
जब ये दे मुफ्त की चीजे,
तो किसकी जेब खाली की ये पूछ लेना।
हर रोज ये दिन आयेगा नहीं,
लगे हाथों कितना पढे़ं हे, ये भी जान लेना।

जो ये बैठ जाये जमी पर,
तो इनसे इस की कीमत जान लेना।
और भी तो बहुत बाते होंगी तेरे मन में,
आज तेरा दिन हे, हर तरफ से इनको टटोल लेना।
फिर पाँच साल का वनवास हे बाबू,
इस बार किसी राम के हाथों ही राज्य सौंप देना।

मेरा खून खोल जाता है,
जब भी मेरी जमी पर कोई वारदात होती है।
दो दिन तो मैं कहता हूँ,
मैं फिक्रमंद हूँ इस सर जमी का।
फिर दिन बीते, महिने बीते,
करने लगा फिर में राजनीति।
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मेरा ना कोई धर्म है, ना हे जाति,
अब मानवता भी मर गयी हे मेरी।
मुझे फायदे दिखते हे मेरे,
ये शहादतो पर मोन होना तो मेरी मजबूरी है।

मुझे फर्क नहीं पड़ता, किसान क्यों हे मरते,
ये सुखा, ये बाढ क्यों हे आती।
मुझे तो मंच हे मिल जाता,
जब भी कोई खबर हे आती।

मुझसे उम्मीद लगाने वाले की हे गलती,
क्यों तुम मुझे 70 सालो में न समझे।
मुझे सिर्फ वोट से हे मतलब,
बाकि सब बेवफाई हे। 


जब भी देखता हूँ, मैं मौसम को,
तेरे दिल का हाल जान जाता हूँ।
जब भी बहती है ये तेज हवा,
मैं भी अंदर से सहम जाता हूँ।

इंतजार होता है मुझे,
कब वो पहली बारिश की फुहार आये।
दुआ करता हूँ,
कभी रेतीला तूफान ना आये।
मुझको इंतजार होता है,
कब वो फाल्गुन का महीना आये,
फिजा में हर ओर रंग ही रंग घुल जाये।
जो खो चुकी थी अब तक,
वो फूलों की खुशबू हर तरफ फैल जाये।



मैं तेरे दिल का हाल जान जाता हूँ
हर एक बात कहने से पहले समझ जाता हूँ।
जब भी मौसम बदलता है,
मैं तेरा बदला हुआ मिजाज समझ जाता हूँ।

दुआ करता हूँ खुदा से,
इस चमन को फूलों की खुशबू और बारिश की फुहारे मिल जाये।
मेरा यार जो नाराज है,
उसके चेहरे पर हंसी आ जाए।

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देश के वीर जवानों की सुनी बहुत कहानी है,
चलो आज एक पन्ना पलटे,
कहानी वीरांगनाओं की सुनते हैं|
ये देश की वो वीर नारियां है,
जो लड़ी कभी मां बन कर,
जो खड़ी हुई बहन बन कर,
जिसने बेटी बन कर उन सपनों को स्वीकार किया|

चलो पन्ने पलटते हैं , ऐसी ही साहसी बेटियों के|
कुछ ने कल ही तो शादी का जोड़ा देखा था,
कुछ ने दो क्षण संग बिताए थे,
कुछ अभी एक नन्ही सी बच्ची को इस दुनिया में लाई थी,
कुछ दो दिन पहले ही राखी बांध के आई थी|

यह सब दृढ़ संकल्प खड़ी रही,
जब भी एक जवान शहीद हुआ|
ये ज्यादा कुछ ना बोली थी,
पर इन्होंने भी तो बलिदान दिया|
ठानी उन सपनों को सच करने की,
जो देखे थे बलिदानी वीरों ने|
सेवा भाव से हर काम किया,
और देश का ऊंचा नाम किया|

चलो सलाम करते हैं, भारत की हर एक बेटी को,
जिसने हर  क्षण, हर रूप  मैं सर्वोच्च बलिदान दिया|

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मैं अनपढ़ हूँ, अच्छा हूँ;
मुझे बातें बनानी नहीं आती।
मैं देखता हूँ, दुनिया को;
मुझे झूठी दुनिया बनानी नहीं आती।
कम बोलता हूँ, सच बोलता हूँ;
मुझे अफवाह फैलानी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे धोखाधड़ी नहीं आती।
कमा लेता हूँ, मैं मेहनत से;
मुझे कागजी चोरी नहीं आती।
हुनर तो सीख लेता हूँ;
पर जालसाजी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे ये खबरें समझ नहीं आती।
समझता हूँ, मैं दर्द सीने का;
उस पर राजनीति करनी नहीं आती।

समझता हूँ, देश के खतरों को;
इसलिए जवान की इज्जत करनी आती है।
शराफत ही अमानत है;
उसमें मेरी गरीबी आड़े नहीं आती।
समझ थोड़ी सी कम होगी;
पर शराफत नहीं जाती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे देश से गद्दारी नहीं आती|

 मुझे इल्म है बेटा,
सफर जिंदगी का तेरा कुछ छोटा रह गया।
तू जानता है,
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना है।
तू ना कर फिक्र बेटा,
तुझे अब मेरे साए में आना है।
तू जिंदा था, तू जिंदा है,
ये दुश्मन को बताना है।
लहू के हर एक कतरे का बदला लेकर आएंगे,
अब शहादत आने से पहले,
हर एक दुश्मन को उसके घर में गिराएंगे।
सबक होगा ऐसा,
कि दुश्मन की रूह कांप जाएगी।
जब  भी जिक्र होगा तेरा,
तेरा जज्बा याद आयेगा।
मेरी धरती का हर एक हिस्सा,
तेरे किस्से सुनाएगा|

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