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"पहचान" से "पहचानने" तक का सफर

जहां एक तरफ दौड़ है, अपनी पहचान बनाने की। वहीं दूसरी तरफ एक बहुत बड़ी दुविधा है, खुद की पहचान को समझने की। आप और मैं हर रोज अपनी सुबह की शुरुआत इस प्रण के साथ करते हैं कि आज हम ऐसा कुछ करेंगे, जिससे हमारे आने वाला कल बेहतर हो और 6 अरब आबादी वाली इस दुनिया को जब अलविदा कहें, तो हमारी भी एक अपनी पहचान हो।

अपनी पहचान बनाने के इस सफर में हमारे सामने आज एक सवाल यह आ खड़ा हुआ है कि आखिर हमारी पहचान क्या है? क्या मैं 5 साल में एक बार आने वाला वोट हूं? जिसको मांगने कभी एमपी, कभी एमएलए, तो कभी प्रधान आ जाता है। या मैं धर्म में बटा हुआ एक समूह हूं, जिसकी पहचान सिर्फ और सिर्फ उसके धर्म से है। शायद मेरी पहचान मेरी जाती है, या मेरा पैसा है, या फिर मेरी शक्ति मेरी पहचान है। आखिर मैं कौन हूं और किसने मेरी वजूद को इतने हिस्सों में बांट दिया है?

आखिर इतना आसन कैसे हो गया कि एक समझदार इंसान को अपने व्यक्तिगत हितों के चलते कोई दूसरा व्यक्ति कुछ और बनने के लिए मना लेता है। यह भी उतना ही सच है कि ज्यादातर यह सब काम बिना किसी डराए-धमकायें किया जा रहा है, और हो सकता हे कुछ जगहों पर शक्ति का प्रयोग भी किया जाता हो। हम सब जानते हैं, सच को बदला नहीं जा सकता है और यह भी सच है कि सत्य हमेशा अपनी जगह पर ही है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम नजरिया बदलना चाहते या नजरंदाज करना चाहते हैं।

सारा विश्व आज बातों का धनी हो चुका है। तो सच और झूठ दोनों के पास ही हमेशा इतने तर्क होते हैं कि आपको अंतर समझने में न जाने कितने दिन बीत जाए। तो प्रश्न यह है कि ऐसे में क्या किया जाए जब आपके सामने दो परिस्थिति हैं? एक अपनी पहचान बनाने की और दूसरी अपनी झूठी पहचान से निजात पाने की। तो इसका उत्तर हमारे दर्शन में मिल ही जाता है ।

सरलता ही सरल जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है। 

अहँ ब्रह्मास्मि, अब इससे बड़ा ना तो कोई ज्ञान है, ना कोई दर्शन। अगर आप यह जान लो कि आप में ही सब कुछ समाहित है और जो व्यक्ति आपके सामने हैं, वह भी आपसे कोई अलग तो नहीं है, वह भी उस ब्रह्म का एक रूप है। तो आप इन सब झूठी पहचानो से तो उसी वक्त निजात पा जाते हो। अब आपका पूरा ध्यान होगा, अपनी पहचान कैसे बनानी है। तो उसके लिए सहजता ही सर्वोत्तम मार्ग है। जिस कार्य में आप निपुण हो और लंबे अंतराल तक उस कार्य को सहजतापूर्वक करने की क्षमता रखते हो, तो उस कार्य में आप अच्छा ही करोगे और आपके द्वारा किए गए कार्य प्रशंसनीय होंगे। आपके द्वारा किये गये अच्छे या बुरे काम ही आपकी असली पहचान है।

आशा है कि भावार्थ आपके पास आ चुका है।
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