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हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनेको स्वतंत्रता सेनानी अपना सर्वोच्च बलिदान देकर भारत माता के लिए शहीद हो गये, साथ ही साथ ऐसे महान लोग भी हुए जिन्होने स्वतंत्रता संग्रम में अपना पूरा जीवन झोक दिया। ऐसे ही सभी Great Freedom Fighters को यह कविता समर्पित है।

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित कविता

करने आये हैं हम नमन
बलिदानी वीरों को।
चल पड़ते थे जो अंगारों पर
मातृभूमि को करके नमन।
उम्र ना पूछो
धर्म ना पूछो
इस मिट्टी के रखवालों की।
चल पड़े जो अंधियारों में
अत्याचारों का करने अन्त।

लहू बहाया धरती पर
जैसे बहता हो गंगा का पावन जल।
नहीं रुके यह, नही झुके यह,
वीर अमर बलिदानी थे।
कल का सूरज देखेगें वह
अपने ध्वज के नीचे।
करके प्रण जब बढे कदम
अंग्रेजों के भी छक्के छूटे थे।

कोई नरम था, कोई गरम था
कोई थी बेटी जैसे लक्ष्मी बाई।
आजाद होगा देश हमारा
मन में सबने ठानी थी।


मिट्टी की खुशबू

हवाएँ मिट्टी की यह खुशबू
आखिर कहाँ से लाती है।
जब शहीद होता है कोई वतन पर,
तो वो अपनी महक इस मिट्टी मे छोड़ जाते है।

अगर वतन एक गुलीशता है,
तो यह फूल बन जाते है।
चलती है जब भी मन्द हवा इस बगीया से,
तो देशभक्ति की सुगंध साथ ले आती है।

फूल तो खिलकर,
फिर मुरझा जाते है।
जो होते है शहिद वतन पर,
वो सदा के लिए खिले रह जाते है।

कहानियाँ इनकी सबको है भाती,
जब मिलता है मौका,
कुछ इनके जैसे बनने का,
ये हमारी प्रेरणा शक्ति बन जाते।

बच्चे Freedom Fighters पर लिखी गई इस कविता को 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) व 26 जनवरी(गणतंत्र दिवस) में प्रयोग कर सकते है। देश के अमर शहीदों को एक बार फिर से नमन। मौलिक रचनाऔं को पढने के लिए Blog को फोलो जरूर करें।

Hindi Poem on Freedom Fighter
Picture Credit: WallpaperSafari

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देश के वीर जवानों की सुनी बहुत कहानी है,
चलो आज एक पन्ना पलटे,
कहानी वीरांगनाओं की सुनते हैं|
ये देश की वो वीर नारियां है,
जो लड़ी कभी मां बन कर,
जो खड़ी हुई बहन बन कर,
जिसने बेटी बन कर उन सपनों को स्वीकार किया|

चलो पन्ने पलटते हैं , ऐसी ही साहसी बेटियों के|
कुछ ने कल ही तो शादी का जोड़ा देखा था,
कुछ ने दो क्षण संग बिताए थे,
कुछ अभी एक नन्ही सी बच्ची को इस दुनिया में लाई थी,
कुछ दो दिन पहले ही राखी बांध के आई थी|

यह सब दृढ़ संकल्प खड़ी रही,
जब भी एक जवान शहीद हुआ|
ये ज्यादा कुछ ना बोली थी,
पर इन्होंने भी तो बलिदान दिया|
ठानी उन सपनों को सच करने की,
जो देखे थे बलिदानी वीरों ने|
सेवा भाव से हर काम किया,
और देश का ऊंचा नाम किया|

चलो सलाम करते हैं, भारत की हर एक बेटी को,
जिसने हर  क्षण, हर रूप  मैं सर्वोच्च बलिदान दिया|

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 मुझे इल्म है बेटा,
सफर जिंदगी का तेरा कुछ छोटा रह गया।
तू जानता है,
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना है।
तू ना कर फिक्र बेटा,
तुझे अब मेरे साए में आना है।
तू जिंदा था, तू जिंदा है,
ये दुश्मन को बताना है।
लहू के हर एक कतरे का बदला लेकर आएंगे,
अब शहादत आने से पहले,
हर एक दुश्मन को उसके घर में गिराएंगे।
सबक होगा ऐसा,
कि दुश्मन की रूह कांप जाएगी।
जब  भी जिक्र होगा तेरा,
तेरा जज्बा याद आयेगा।
मेरी धरती का हर एक हिस्सा,
तेरे किस्से सुनाएगा|

इसी श्रृँखला में पढे : वीर सपूतों के नाम

देख माँ तेरा आंचल रंग आया हूँ,
बच्चों को तेरी बाँहों में रोता छोड़ आया हूँ।
शिकायत तो उसको होगी ना माँ,
बिन बताए जिसे मैं चला आया हूँ।
जिंदगी के सफर में सबको अकेला छोड़ आया हूँ,
तुझसे मिलने को उस बूढ़ी मां को अकेला छोड़ आया हूँ।

मैं अभी थका तो नहीं था,
पर तेरे कदमों में जा ये लगा आया हूँ।
मैं मिटाकर सब रंग एक घर के,
तेरे गुलिस्तां को दुश्मनों से बचा आया हूँ।

मेरे भाई, मेरा बदला तो ले आएंगे,
दुश्मन को उसके घर में कुचल आएंगे।
ना उठा पाएगा नजर फिर से,
इस बार वो ऐसा कुछ कर आयेंगे।

मैं आगे बढ़ा, तो पीछे विरासत शहादत की छोड़ आया हूँ,
मैं अकेला चला था, आज अपने पीछे सैकड़ों को खड़ा कर आया हूँ।

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