"आम चुनाव" व "एक साथ सभी चुनाव संपन्न करने की संकल्पना"
जैसा कि आप सभी इस नाम से ही समझ सकते हैं, कि यह आप और मेरे जैसे देश के सभी आम लोगों द्वारा अपने जनप्रतिनिधि मनोनीत करने की पद्धति है। परंतु एक तथ्य यह भी है कि आम चुनाव सच में इतनी आम बात हो गई है कि हम 5 सालो में एक बार नहीं, कम से कम तीन बार वोट डालने जाते हैं। लोकसभा, विधानसभा व प्रधान य निकाय के चुनाव। इसके अलावा कभी उपचुनाव, कभी सोसायटी के चुनाव, समझो चुनाव के नाम पर कुछ ना कुछ चलता ही रहता है। तो इस बात को साधारण शब्दो में इस तरह से समझा जा सकता है, अगर हम 5 साल में एक चुनाव पर एक राज्य में 1 करोड़ रुपया खर्च करते हैं, तो कम से कम 3 चुनाव पर 3 करोड़ तो खर्च हो जाता है।
इसको देश के लिए आर्थिक नुकसान की तरह ही देखा जाना चाहिए।
अच्छा फिर से हम लौट आते हैं, इस आम चुनाव पर। मैं इस बात पर नहीं जाऊंगा कि आप किस को वोट दें। कैसे उम्मीदवार का चुनाव करें, यह आपसे ज्यादा अच्छा और कोई नहीं जानता है कि कौन आपके वोट की लिए उपयुक्त है। परंतु दो बातें जरूर कहूंगा, पहली बात अपना वोट जरूर दे। अगर कोई भी उम्मीदवार योग्य ना लगे तो नोटा पर ही वोट दें, पर अपने वोट देने के अधिकार का सम्मान अवश्य करें। और दूसरी बात, आप अपनी वोट की कीमत को समझने की कोशिश स्वयं करें। मीडिया या किसी मेरे जैसे व्यक्ति की बातों से प्रभावित होकर किसी पार्टी या व्यक्ति को ना चुने। तो यहाँ बात पूरी हुई आम चुनाव की।
इस लेख के दूसरे पहलू से आप सभी अछूते नहीं है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस संकल्पना की चर्चा बहुत ऊंचे स्वर में की थी। हमारा देश 28 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है और देश की आबादी लगभग 130 करोड़ को पार कर चुकी है। भारत जैसे विकास की ओर अग्रसर देश के लिए अगर 1 करोड या 1 भी रुपया बचाया जा सके, तो यह एक सराहनीय कार्य होगा। देश में अभी तीन स्तरीय चुनाव होते हैं, जैसा कि मैंने आपको पहले बताया है। यह चुनाव प्रक्रिया अलग-अलग राज्य में सतत चलती रहती है।
अगर आप इस बात को इस तरह समझो, कि देश में हर साल 5 से 10 जगह पर कोई ना कोई चुनाव होते ही रहते हैं, तो यह गलत नहीं होगा। इन सभी चुनाव में बहुत सारा पैसा खर्च किया जाता है, जिसमें सरकारी व गैर सरकारी दोनों तरह के खर्चे आते हैं। जो कि एक देश, एक चुनाव पद्धति से बचाया जा सकता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है, जो हमारा इतना श्रमिक इस कार्य में लगता है। जैसे कि अध्यापक, सैनिक, अधिकारी, अलग-अलग पार्टी के वर्कर व नेतागण। यह सभी लोग अपने समय का सदुपयोग देश की सेवा में कर पाएंगे व अपना बहुमूल्य समय अपने निर्धारित कामों को दे पाएंगे। अभी न जाने कितने वर्किगं डे चुनाव को करवाने में बर्बाद हो जाते है।
मैं अगर किसी 14 से 15 साल की बच्चे को भी यह बात समझाऊं तो वह भी यह समझ सकता है, कि एक बार में सभी तीन स्तरीय चुनाव होने से कितना लाभ है। यह पूरी तरह देश हित में है, परंतु हमारे देश की राजनीतिक पार्टी इस पर एकजुट नहीं होना चाहती है। हमारे देश को बहुत सारे आर्थिक मद्तो की जरूरत रहती है, जो कि हम अलग-अलग देशों से, विश्व बैंक से कर्जे के रूप में लेते हैं। अगर हम इस प्रकार के मूलभूत सुधारों से देश के होने वाले खर्चों को कम कर सके, तो बाहर से कम मदद लेने की जरूरत पड़ेगी। मुझे लगता है, कि आप भी मेरे इन विचारों से कुछ समानता तो जरूर रखते होंगे।
हम एक सकारात्मक पहल(एक देश, एक चुनाव पद्धति) के बारे में विचार विमर्श कर रहे हैं, इस पर अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।
List of Articles Published on this blog:
1. Mentality of Misusing Right of Freedom
2. One Nation, One Election Process
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