Teacher Day Shayari in Hindi - शिक्षक कौन है?

क्या शब्द है,

क्या है नम्बर,

हम सबसे अन्जान थे।


क्या है धरती,
क्या है अम्बर,
हम सब तो हैरान थे।

क्या है सर्दी,
क्या है गर्मी,
ऋतु चक्र क्या एक विज्ञान है।

देखा-देखा सा था सब कुछ,
पर इनके नामो से अन्जान थे,
फिर वो आये जीवन मे,
हल लेकर हर जिज्ञासा का।
Poem on Teachers Day, Hindi poem for teachers


शब्द भी सिखे,
अंक भी सिखे,
दिखाया हमको एक संसार नया।

बदलने लगा दायरा सोच का,
फिर समझाया विज्ञान है क्या,
विषय अनेक थे उनके पास,
और समझाया हमको शिक्षा का सार,
पढो अपनी रूचि से सब कुछ,
शिक्षा नही है कोई व्यापार।

पुस्तक की दुनिया हमे दिखायी,
इसमे हमको सैर करायी,
आगे बढने की राह दिखायी।

ऐसे ही हर एक शिक्षक ने,
इस देश की नीव बनायी,
आप सबके उपकार है हम पर,
करते है हम, सत् सत् नमन,
सत् सत् नमन।

यह Teachers Day Shayari उन सभी शिक्षको को समर्पित है जिन्होने हमको जीवन के अलग अलग पडाव पर अच्छी शिक्षा दी व हमको सही राह दिखायी। शिक्षा स्कूल से जरूर शूरू होती है, पर ज्ञान अर्जन तो हमको पूरे जीवन भर करना होता है। इसी सफर में अनेको लोग हमारे शिक्षक बन जाते है।

हम मौन थे ओर न जाने ये समय कब आगे बढ गया।
कल जो था, न जाने कब युगान्तर बन गया।
दोष किसका था, ये  न जानता था कोई।
पङ गये विरान ये घर, हो गयी कुछ रात सी।
कल सुबह होगी, छोङ दी ये आश भी।
""कुछ नही बिगङा हे अब भी,
कहनी इतनी सी बात थी।""
पर हम सब तो मौन थे, टल गयी ये बात भी।



हो चली फिर देर कुछ यू, खो गये हम खुद मे ही।
आ गयी फिर ॠतु बंसत की, सूखे पत्ते खो गये।
कुछ पूरानी डालीयो पर नये कोपल आ गये,
ओर कुछ पूरानी डालीया फिर न हो सकी हरी।
हम मोन थे, स्तब्ध थे, काल खण्ड बदलता रहा।

खो चुकी थी आन अपनी, पहचान अपनी ये धरा।
खो गया था इतिहास मेरा, जो मन के पन्नो पर था छपा।
गॉव मेरा मौन था,  पित्र मेरे मौन थे।
क्या बदलने को चले थे, क्या बदलकर रख दिया।
मै बङा हूँ या वो बङा, इसमे फस के रह गये।
""कुछ नही बिगङा हे अब भी,
कहनी इतनी सी बात थी।""
पर हम सब तो मौन थे, टल गयी ये बात भी।


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