एक मेहनती मजदूर के जीवन के संघर्षों, सपनों, व परिवार की उम्मीदों पर लिखी Best Hindi Poem on Life of Labor


Hindi Poetry on Life of Labor - मजदूर की जिंदगी पर कविता

सपनों को आकर जो देता,

देश को विकास जो देता,

बोझ कन्धों पर रहे हमेशा,

पर कर्म करने से कभी न डरता।


जिंदगी मुश्किल भले हो,

कभी न रुकता, कभी न झुकता,

जरूरतें चाहे हो जितनी,

अपनी मेहनत से सपनों को साकार है करता।


बेहरूपी को इनाम मिले यहाँ,

मेहनत को सम्मान नहीं,

इज्जत उसको मिलती है

जिनके कपड़ों की सान बड़ी।


सर्दी, गर्मी, या हो बारिस,

मुझको हर ऋतु एक सी है,

काम पर ना जो एक दिन जाता,

उस दिन का पगार नहीं।


बढता हूँ, लड़ता हूँ खुद से,

संघर्ष भरा ये जीवन है।

कहने को सब काम में करता,

सम्मान भरे शब्दों से वंचित रहता हूँ।


समाज में मजदूरों को अपने अधिकारों व सम्मान के लिए हमेशा ही संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा ही एक दिन मजदूर दिवस है, जब हम इन कर्मयोगियों का सम्मान करते हैं। परन्तु यह पूरा सच नहीं है, और यह Hindi Poem on Life of Labor उस सच को आपके सामने लाता है।


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यह Hindi Poem Image उन पाठकों के लिए विशेषकर बनायी गयी है, जो कविताओं को इमेज के रुप में पढना पसंद करते हैं। यदि कविता पसंद आये तो अपने विचार जरुर शेयर करें।

Hindi Kavita on Life of Farmer - किसान के जीवन की परेशानी, बदहाली, लाचारी, मेहनत ओर उम्मीदों पर कविता

आजकल हमारे देश में किसान आन्दोलन कर रहे हैं, और किसानों पर सभी राजनैतिक दल वर्षों से राजनीति करते आये हैं, पर शायद ही कोई उनके जीवन के बारे में सोचता होगा। किसान परिवार से नाता होने की वजह से किसानों के जीवन पर एक सच्ची कविता लिख रहा हूँ, जोकि राजनीति से कोई संबन्ध नहीं रखती है। पूरी कविता पढें, आपको जरूर पसंद आयेगी।


कविता का शीर्षक - मैं किसान हूँ, खुशहाली बाँट कर खाली हाथ रह जाता हूँ।


खुशहाली देश में लाता है,

हरियाली खेतों में लाता है,

फिर न जानें क्या होता है,

एक किसान जिंदगी की जंग हार जाता है।


मेहनत से जो नहीं डरता,

प्रकृति के संग जो जीता,

उम्मीद करने में क्या बुरायी है,

कि एक दिन मेहनत रंग लायेगी।


फिर जब फसल बेचने का दिन आता,

वो खिलोना मंडी का बन जाता,

इधर जाता उधर जाता,

और मजबूरी में घाटे का सौदा कर आता।


घर उसको भी चलाना है,

बच्चों को भी पढाना है,

सामाजिक जिम्मेदारी,

सौ जगहों पर जाना है।


महंगाई की मार पडती है,

मेरा भाई टूट जाता है,

जरूरत पूरी करने को,

साहूकार के जाल में फँस ही जाता है।


जिंदगी में पहले ही मुस्किल थी,

ये ॠण उसको खूब सताता है,

फिर एक दिन ऐसा आता है,

ये धरती का लाडला हार जाता है।

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किसानों की जिंदगी के संघर्षों पर लिखी कविता किसान परिवारों से जुङे सभी लोग जरूर समझ पायेंगे। मेहनत हम सभी करते हैं, पर फिर सिर्फ किसान ही क्यों गरीब होता चला जा रहा है। कविता से संबन्धित अपने विचार जरूर शेयर करें।

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