Poem on Mother Land - Desh Bhakti Kavita

Poem No.9 - परिचय का नया अंदाज 

अदभुत सुन्दर है देश हमारा,
एक और अडिग हिमालय इसके, दूजी और सिंधु हे लहराता।  
कही शिशिर हे, कही नरम हे, कही भीषण गर्मी सूरज हे बरसाता।
प्रकृति अलग, अलग-अलग हे बोल हमारे, फिर भी हम सब ने मिलकर ये प्यारा देश बनाया।

सब से ज्यादा धर्म यहाँ पर, उस से भी ज्यादा धर्म गुरु है,
सभी धर्म का सम्मान यहाँ पर, हर इंसान बराबर है।
हर त्यौहार मिलकर हे मानते, मेल-मिलाप हे इतना ज्यादा कि देश प्रेम ही धर्म कहलाता।

मैं जन्मा इस धरती पर, ये मेरा सौभाग्य दिखाता,
पहली सभ्यता बसी यही पर, ग्रन्थों में रचा गौरवशाली इतिहास हमारा।
हम सब भारत कहते हे इसको, ये हे हमको जान से ज्यादा प्यारा।

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