शहीदो को संर्पित हिन्दी कविता - भारत माँ के वीर सपूत

 मुझे इल्म है बेटा,
सफर जिंदगी का तेरा कुछ छोटा रह गया।
तू जानता है,
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना है।
तू ना कर फिक्र बेटा,
तुझे अब मेरे साए में आना है।
तू जिंदा था, तू जिंदा है,
ये दुश्मन को बताना है।
लहू के हर एक कतरे का बदला लेकर आएंगे,
अब शहादत आने से पहले,
हर एक दुश्मन को उसके घर में गिराएंगे।
सबक होगा ऐसा,
कि दुश्मन की रूह कांप जाएगी।
जब  भी जिक्र होगा तेरा,
तेरा जज्बा याद आयेगा।
मेरी धरती का हर एक हिस्सा,
तेरे किस्से सुनाएगा|

इसी श्रृँखला में पढे : वीर सपूतों के नाम

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