मैं अनपढ़ हूँ, अच्छा हूँ;
मुझे बातें बनानी नहीं आती।
मैं देखता हूँ, दुनिया को;
मुझे झूठी दुनिया बनानी नहीं आती।
कम बोलता हूँ, सच बोलता हूँ;
मुझे अफवाह फैलानी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे धोखाधड़ी नहीं आती।
कमा लेता हूँ, मैं मेहनत से;
मुझे कागजी चोरी नहीं आती।
हुनर तो सीख लेता हूँ;
पर जालसाजी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे ये खबरें समझ नहीं आती।
समझता हूँ, मैं दर्द सीने का;
उस पर राजनीति करनी नहीं आती।

समझता हूँ, देश के खतरों को;
इसलिए जवान की इज्जत करनी आती है।
शराफत ही अमानत है;
उसमें मेरी गरीबी आड़े नहीं आती।
समझ थोड़ी सी कम होगी;
पर शराफत नहीं जाती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे देश से गद्दारी नहीं आती|

 मुझे इल्म है बेटा,
सफर जिंदगी का तेरा कुछ छोटा रह गया।
तू जानता है,
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना है।
तू ना कर फिक्र बेटा,
तुझे अब मेरे साए में आना है।
तू जिंदा था, तू जिंदा है,
ये दुश्मन को बताना है।
लहू के हर एक कतरे का बदला लेकर आएंगे,
अब शहादत आने से पहले,
हर एक दुश्मन को उसके घर में गिराएंगे।
सबक होगा ऐसा,
कि दुश्मन की रूह कांप जाएगी।
जब  भी जिक्र होगा तेरा,
तेरा जज्बा याद आयेगा।
मेरी धरती का हर एक हिस्सा,
तेरे किस्से सुनाएगा|

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