Poem No.9 - परिचय का नया अंदाज 

अदभुत सुन्दर है देश हमारा,
एक और अडिग हिमालय इसके, दूजी और सिंधु हे लहराता।  
कही शिशिर हे, कही नरम हे, कही भीषण गर्मी सूरज हे बरसाता।
प्रकृति अलग, अलग-अलग हे बोल हमारे, फिर भी हम सब ने मिलकर ये प्यारा देश बनाया।

सब से ज्यादा धर्म यहाँ पर, उस से भी ज्यादा धर्म गुरु है,
सभी धर्म का सम्मान यहाँ पर, हर इंसान बराबर है।
हर त्यौहार मिलकर हे मानते, मेल-मिलाप हे इतना ज्यादा कि देश प्रेम ही धर्म कहलाता।

मैं जन्मा इस धरती पर, ये मेरा सौभाग्य दिखाता,
पहली सभ्यता बसी यही पर, ग्रन्थों में रचा गौरवशाली इतिहास हमारा।
हम सब भारत कहते हे इसको, ये हे हमको जान से ज्यादा प्यारा।

Simple Hindi Poem on Social Issues - परिचय का नया अंदाज 


दादा जी बैठे थे गांव की चौपाल पर, देख एक नन्हे बालक से पूछे,
बेटा अपना  परिचय दो, लपक कर बालक बोला,
लगता हे टी.वी. नहीं हे घर में, हम एम.एल.ए. के बेटे है।

कक्षा के पहले दिन जब शिक्षक ने छात्रौ का परिचय पूछा,
तो ये जान हैरान था, कि सभी एक ही बिरादरी के है,
कोई नेता जी का पास का रिश्तेदार, तो कोई दूर का निकला।

ट्रैफिक पुलिस ने जिसको भी रोका, उसके फोन में नेता जी का नंबर निकला,
इस तरह पूरा देश डिजीटल भारत बनने की और चला।
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घरवालों ने बच्चों को परिचय देने का नया तारिका सिखाया,
कोई पद जब ना हो, तो माँ-बाप को नेता प्रति-पक्ष ही कहना।

इस रफ्तार से सब बदला तो, नेता ही एक जाति रह जायेगी,
और इनके रिश्तेदार होना ही एक पहचान रह जायेगी।

हर सवाल का जब ये ही एक जवाब रह गया होगा,
तो समझ जाना देश का दिवाला निकल गया होगा।

नेता तो देश का सेवक है, उसको बस सेवा करने का ही अधिकार दो,
और उसकी शक्ति और नाम से, अपनी खुद की पहचान को न मिटाओ।

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