अधर्म चाहे बलवान हो,
या धनवान,
या रावण जैसा सामर्थवान,
हर युग में आता है कोई राम सा,
सरलता जिसकी हो पहचान,
न किसी बात का हो अभिमान,
मर्यादाओं का हो जिनको ज्ञान।
![Dusserha Greeting Image, Poem in Dusserha Dusserha Greeting, Happy VijayaDashmi](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjBWMaVrWkWnZtY6qsNpoHXXmJZyh4fDA9994EkolH0sXV3TcT2HKe6LTYqDIMRl8Zx01o_EN1glXYXfK6305kt2PuJLcOIfUENtHRRIMqOQbcyx6sdfxfBNAJX-JS8trOsWEdusKJtL1I/w320-h320/images+%252824%2529.jpeg)
हर युग में संग ही चलते हैं,
कभी धर्म प्रबल तो,
कभी अधर्म प्रबल।
अधर्म बलशाली जब हो जाता है,
तब हर युग में आ जाते हैं कोई बनकर राम,
कर देता है अन्त अधर्म का,
और बन जाता है वहाँ भगवान।
सभी पाठकों को दशहरा (विजयादशमी) की शुभकाभनाएँ।
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