Hindi Kavita on Life of Farmer - किसान के जीवन की परेशानी, बदहाली, लाचारी, मेहनत ओर उम्मीदों पर कविता

आजकल हमारे देश में किसान आन्दोलन कर रहे हैं, और किसानों पर सभी राजनैतिक दल वर्षों से राजनीति करते आये हैं, पर शायद ही कोई उनके जीवन के बारे में सोचता होगा। किसान परिवार से नाता होने की वजह से किसानों के जीवन पर एक सच्ची कविता लिख रहा हूँ, जोकि राजनीति से कोई संबन्ध नहीं रखती है। पूरी कविता पढें, आपको जरूर पसंद आयेगी।


कविता का शीर्षक - मैं किसान हूँ, खुशहाली बाँट कर खाली हाथ रह जाता हूँ।


खुशहाली देश में लाता है,

हरियाली खेतों में लाता है,

फिर न जानें क्या होता है,

एक किसान जिंदगी की जंग हार जाता है।


मेहनत से जो नहीं डरता,

प्रकृति के संग जो जीता,

उम्मीद करने में क्या बुरायी है,

कि एक दिन मेहनत रंग लायेगी।


फिर जब फसल बेचने का दिन आता,

वो खिलोना मंडी का बन जाता,

इधर जाता उधर जाता,

और मजबूरी में घाटे का सौदा कर आता।


घर उसको भी चलाना है,

बच्चों को भी पढाना है,

सामाजिक जिम्मेदारी,

सौ जगहों पर जाना है।


महंगाई की मार पडती है,

मेरा भाई टूट जाता है,

जरूरत पूरी करने को,

साहूकार के जाल में फँस ही जाता है।


जिंदगी में पहले ही मुस्किल थी,

ये ॠण उसको खूब सताता है,

फिर एक दिन ऐसा आता है,

ये धरती का लाडला हार जाता है।

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किसानों की जिंदगी के संघर्षों पर लिखी कविता किसान परिवारों से जुङे सभी लोग जरूर समझ पायेंगे। मेहनत हम सभी करते हैं, पर फिर सिर्फ किसान ही क्यों गरीब होता चला जा रहा है। कविता से संबन्धित अपने विचार जरूर शेयर करें।

यह Hindi Kavita on Life of Child Labor उस बच्चे के जीवन को बँया करती है, जिसको पढनें व खेलनें की उम्र में बाल मजदूरी पर लगना पड़ जाता है। बाल मजदूरी को बहुत करीब से महसूस करके यहाँ पंक्तियाँ लिखी गई हैं, जो आप सभी ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए प्रेरित करेगी।


Hindi Kavita on Life of Child Labor 

कविता का शीर्षक- जब कभी मैं सोचता हूँ

अकल कुछ ही तो आयी थी,

समझ अब भी ना आयी थी,

मैं जाता था काम करने क्यों,

जब उम्र थी पढाई की।


घर में माँ-बाबा भी रहते थे,

कहने को मैं सबसे छोटा था,

ये ऐसी कैसी बस्ती थी,

जहाँ बचपन नहीं आता था।


काम करना और घर आना,

ये भी कहाँ नसीब होता,

न जाने कब नशे से दोस्ती कर ली,

न जाने कब जिंदगी से दुश्मनी कर ली।


मैं नहीं चाहता था ये सब कुछ हो,

पर मेरी कौन सुनता था,

करता तो मेहनत था,

पर क्या ये मेरी उम्र थी काम करने की?


न किसी से बालपन रूठे,

न किसी से शिक्षा का अधिकार छूटे,

ऐसा हर कोई कहता है,

पर क्या ये सच में होता है?


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यदि आप कविताओं को इमेज में पढना व शेयर करना पसंद करते है, तो हम बाल मजदूरी पर लिखी यह पूरी कविता इमेज में भी प्रस्तुत कर रहे हैं।

Hindi Kavita on Life of Child Labor, Hindi Poetry on Life of Child Labor

आशा है कविता आपको एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी, अपने विचार व अनुभव जरूर शेयर करें।


Gopaldas Neeraj Ki Kavitayen - Karvan Guzar Gaya, Hum Toh Mast Fakir, Mera Naam Liya Jayega Aur Geet - Likhe Jo Khat Tujhe, Khilte Hai Gul Yaha 


गोपाल दास नीरज को हम  पद्म श्री व पद्म भूषण सम्मानित श्रेष्टतम् साहित्यकार, कवि व शिक्षक के रूप में जानते है। आपको सहित्य जगत में  "नीरज" के नाम से ख्याती प्राप्त थी। यह हमारा एक छोटा सा प्रयास है कि हम आपकी कविताओं को आपने पाठको तक पहुचा सके। पहले हम कविताओं से शुरूवात करेगें, फिर नीरज जी का विस्तृत जीवन परिचय भी आप इस लेख में पढ सकते है।


इस Gopaldas Neeraj Poems collection में आप उनकी लिखी बहुचर्चित कविताएँ कारवां गुज़र गया, हम तो मस्त फकीर व मेरा नाम लिया जायेगा पढ सकते है। साथ ही साथ उनके लिखे सदाबहार गानो में से एक, लिखे जो खत तुझे व खिलते हैं गुल यहाँ की Lyrics भी आप पढ सकते है।


Gopal Das Neeraj Poems - Karvan Guzar Gaya (कारवां गुज़र गया)

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क़ बन गए, छंद हो दफ़न गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँ-धुआँ पहन गये,
और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली,
और हम लुटे-लुटे, वक्त से पिटे-पिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर, शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखर-बिखर,
और हम डरे-डरे, नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

माँग भर चली कि एक, जब नई-नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरण-चरण,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन-नयन,
पर तभी ज़हर भरी, ग़ाज एक वह गिरी,
पुंछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी,
और हम अजान से, दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
 

 Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Poems - Hum Toh Mast Fakir (हम तो मस्त फकीर)

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

रामघाट पर सुबह गुजारी, प्रेमघाट पर रात कटी
बिना छावनी बिना छपरिया, अपनी हर बरसात कटी
देखे कितने महल दुमहले, उनमें ठहरा तो समझा
कोई घर हो, भीतर से तो हर घर है वीराना रे।

औरों का धन सोना चांदी, अपना धन तो प्यार रहा
दिल से जो दिल का होता है, वो अपना व्यापार रहा
हानि लाभ की वो सोचें, जिनकी मंजिल धन दौलत हो
हमें सुबह की ओस सरीखा लगा नफ़ा-नुकसाना रे।

कांटे फूल मिले जितने भी, स्वीकारे पूरे मन से
मान और अपमान हमें सब, दौर लगे पागलपन के
कौन गरीबा कौन अमीरा हमने सोचा नहीं कभी
सबका एक ठिकान लेकिन अलग अलग है जाना रे।

सबसे पीछे रहकर भी हम, सबसे आगे रहे सदा
बड़े बड़े आघात समय के, बड़े मजे से सहे सदा
दुनियाँ की चालों से बिल्कुल, उलटी अपनी चाल रही
जो सबका सिरहाना है रे! वो अपना पैताना रे!

""हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।
जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।""

Gopal Das Neeraj Poems, Neeraj Poems

 Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Poems - Mera Naam Liya Jayega (मेरा नाम लिया जाएगा)

आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।

मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा


खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से, क्या इस तरह जिया जाएगा


काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा


जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब, हँसकर ज़हर पिया जाएगा

""आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।""

Hindi Kavita Written by Famous Hindi Poet- Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Likhe Jo Khat Tujhe (लिखे जो ख़त तुझे)

लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गए
जो रात आई तो, सितारे बन गए।

कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई, मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री, लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई

फ़िज़ा रंगीं अदा रंगीं, ये इठलाना ये शरमाना
ये अंगड़ाई ये तनहाई, ये तरसा कर चले जाना
बना दे ना कहीं मुझको, जवां जादू ये दीवाना

जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूँ तू सावन है
मेरी दुनिया ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है।

""लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के, नज़ारे बन गए
सवेरा जब हुआ, तो फूल बन गए
जो रात आई तो, सितारे बन गए।""

Hindi Film Song Written by - Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)

Gopal Das Neeraj Hindi Film Songs - Khilte Hai Gul Yaha (खिलते हैं गुल यहाँ)

खिलते हैं गुल यहाँ, खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ...

कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके, डोला बहार का
चार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

झीलों के होंठों पर, मेघों का राग है
फूलों के सीने में, ठंडी-ठंडी आग है
दिल के आइने में तू, ये समां उतार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

प्यासा है दिल सनम, प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी-दबी, कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू, हर खुशी निसार दे
खिलते हैं गुल यहाँ...

""खिलते हैं गुल यहाँ, खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिल के बिछड़ने को""

Hindi Film Song Written by - Gopal Das Neeraj ( 4 Jan 1924 - 19 Jul 2018)


गोपालदास "नीरज" का संक्षिप्त जीवन परिचय

जन्म - 4 जनवरी, 1925
जन्म स्थान - पुरावली गाँव ( आज के इटावा जिला, उत्तर प्रदेश)
मृत्यु - 19 जुलाई, 2018 ( दिल्ली)

"नीरज" के नाम से ख्याती प्राप्त कवि, लेखक व गीतकार का पूरा नाम गोपालदास सक्सेना "नीरज" है। नीरज जी एक हिन्दी विषय के शिक्षक थे, आपका हिन्दी सहित्य व शिक्षा के प्रति असीम प्रेम व योगदान की वजह से पद्म श्री(1991) व षद्म भूषण(2007) से भी सम्मानित किया गया। आपकी अनेको उपलब्धियाँ में से एक फिल्म फेयर पुरस्कार से आपको 3 बार नवाजा गया।

यदि हम शिक्षा की बात करे तो जीवन के तमाम संर्घषो के बावजूद भी आपने अपनी पढाई रूकने ना दी, और 1949 मे 12वी पास करके 1953 हिन्दी साहित्य में एम०ए० की परिक्षा पास की। 

गोपालदास नीरज जी ने जहाँ एक ओर अनेको सदाबाहार हिन्दी गीत लिखे, उसी समय आप अनेको प्रसिद्ध काव्य संग्रहो की रचनाएँ करते रहे।  

गोपालदास नीरज ने कौन से काव्य संग्रह लिखे है?

नीरज जी ने अनेको काव्य संग्रह की रचना की है, जिनमें से कुछ इस प्रकार है:  आसावरी, कारवाँ गुजर गया, संघर्ष, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिये, दर्द दिया है, बादर बरस गयो, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, दो गीत, लहर पुकारे, विभावरी, मुक्तकी।

गोपालदास नीरज ने कौन से फिल्मी गीत लिखे है?

नीरज जी ने बहुत से सदाबहार गाने हिन्दी फिल्मो के लिए अपने जीवनकाल  लिखे है, जिनमें से कुछ गीत यहँ है : आज मदहोस हुआ जाये रे, खिलते हैं गुल यहाँ, ऐ भाई जरा देख के चलो, दिल आज शायर है, आप यहाँ आये किस लिए, रंगीला तेरे रंग में, काल का पहिया घुमे भईयाँ, लिखे जो खत तुझे, सुबह ना आयी शाम ना आयी।

Books Written by Gopal Das "Neeraj"

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गोपालदास नीरज जी को हमारी ओर से नमन। यहँ जानकारी व रचनाएँ आपको भी जरूर पसंद आयेगी।

एक बहुत ही दिल को स्पर्श करने वाली हिन्दी कविता उम्मीदों के ऊपर लिखी गई है। Hindi Poem on Hope हमको भविष्य के लिए Inspire भी करती हैं, और हमारे लक्ष्य निर्धारित करने में सहायता भी करती हैं। प्रस्तुत है यह कविता।

Hindi Poetry on Hope - आशाओं पर हिन्दी कविता

तितलियों से पर निकलने लगे हैं, मेरी उम्मीदों के
देख पाता हूँ मैं अब, इस क्षितिज के पार भी।
रंगों से भरे जो यह मेरे पंख हैं,
जिंदगी के खट्टे-मीठे रंगों से हैं इनको रंगा।

पंख कितने ही हों छोटे
इससे नहीं अब कोई वास्ता।
उड़ने का हुनर है मुझमें
मंजिल मिलेगी, यह मुझे उम्मीद है।

उम्मीदों ने भरा है मुझमे
कुछ कर गुजरने का हौसला।
राह कोई भी हो,
कर ही लूँगा एक दिन फतह।

तितलियों से पर निकलने लगे हैं, मेरी उम्मीदों के
देख पाता हूँ मैं अब, इस क्षितिज के पार भी।

Poem on Hope in Hindi, Hindi Poem on Hope

यह Hindi Poem on Hope आपको पसंद आयी होगी और आपको इससे Motivation भी मिला होगा। आशाएँ हमको सफलता की ओर ले जाती हैं, जिसको हम निराशा के अन्धकार में अक्सर नही देख पाते हैं। हमारी सभी कविताएँ स्वरचित हैं।


प्रेरणादायक हिन्दी कविता उम्मीदो पर - Never Give Up Hope Hindi Poem

क्या खोजते हो दुनिया में,
जब सब कुछ तेरे अन्दर है।
क्यों देखते हो औरों में,
जब तेरा मन ही दर्पण है।

दुनिया बस एक दौड़ नहीं,
तू भी अश्व नहीं है धावक।
रुक कर खुद से बातें करले,
अन्तर मन को शान्त तो करले।

सपनों की गहराई समझो,
अपने अन्दर की अच्छाई समझो।
स्वाध्याय की आदत डालो,
जीवन को तुम खुलकर जीलो।

आलस्य तुम्हारा दुश्मन है तो,
पुरुशार्थ को अपना दोस्त बनालो।
जीवन का ये रहस्य समझलो,
और खुशीयों से तुम नाता जोड़ो।

Hindi Motivational Poem on Hope - प्रेरक कविता आशाओं पर


सपनों  का एक सागर है,
सागर में गहराई है,
कोई ना इसको नाप है पाया।

तेरे सपने तेरी मंजिल,
तुझको ही तय करनी है।
छोर मिलेगा उसको ही,
जिसने हिम्मत करली है।
तूफान यहाँ हैं पग-पग पर,
निराशा के हैं ज्वार बहुत।
तेरे सपने, तेरी हिम्मत है,
बदलेगा ये दुनिया तू।

आज निकलजा अन्धियारे में,
कल का सूरज तेरा है। 
सपनों के इस सागर में,
सपनों का एक जाल भी है।
ध्यान रहे तू अर्जन है,
एक लक्ष्य ही तेरा सब कुछ है।
लहरों से टकराना  है,
उनसे भी ऊपर उठ जाना है।
कल जो आने वाला है,
उसको अपना बनाना है।

आशाओं से भरी जिंदगी पर कविता - Hindi Poem on Life with Hope


मैंने गुरबत के दिनों में,
इधर देखा, उधर देखा,
पर अपने अंदर नहीं देखा|

छिपे थे मोती मुझ में,
पर अपने अंदर के समंदर को छोड़,
मैंने हर एक छोटी-बड़ी दरिया को देखा|

छुपी थी आशा की किरण मुझ में,
पर हर बार मैंने आसमा की ओर देखा|

मैंने समझाने वाले लोगों की ओर देखा,
पर जिस दिल को समझाना था, 
कभी उस और नहीं देखा|
Hindi Poem on Hope, Best Hindi Poem On Hope


कहीं एक बार फिर गिर ना जाऊं,
इस डर से मैंने ऊंचाइयों को नहीं देखा|

दौलत-शोहरत देखी मैंने लोगों की,
पर उनके जज्बे को नहीं देखा|

मैंने हर एक चीज देखी गुरबत के दिनों में,
पर अपने अंदर बहुत देर से देखा|

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हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनेको स्वतंत्रता सेनानी अपना सर्वोच्च बलिदान देकर भारत माता के लिए शहीद हो गये, साथ ही साथ ऐसे महान लोग भी हुए जिन्होने स्वतंत्रता संग्रम में अपना पूरा जीवन झोक दिया। ऐसे ही सभी Great Freedom Fighters को यह कविता समर्पित है।

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित कविता

करने आये हैं हम नमन
बलिदानी वीरों को।
चल पड़ते थे जो अंगारों पर
मातृभूमि को करके नमन।
उम्र ना पूछो
धर्म ना पूछो
इस मिट्टी के रखवालों की।
चल पड़े जो अंधियारों में
अत्याचारों का करने अन्त।

लहू बहाया धरती पर
जैसे बहता हो गंगा का पावन जल।
नहीं रुके यह, नही झुके यह,
वीर अमर बलिदानी थे।
कल का सूरज देखेगें वह
अपने ध्वज के नीचे।
करके प्रण जब बढे कदम
अंग्रेजों के भी छक्के छूटे थे।

कोई नरम था, कोई गरम था
कोई थी बेटी जैसे लक्ष्मी बाई।
आजाद होगा देश हमारा
मन में सबने ठानी थी।


मिट्टी की खुशबू

हवाएँ मिट्टी की यह खुशबू
आखिर कहाँ से लाती है।
जब शहीद होता है कोई वतन पर,
तो वो अपनी महक इस मिट्टी मे छोड़ जाते है।

अगर वतन एक गुलीशता है,
तो यह फूल बन जाते है।
चलती है जब भी मन्द हवा इस बगीया से,
तो देशभक्ति की सुगंध साथ ले आती है।

फूल तो खिलकर,
फिर मुरझा जाते है।
जो होते है शहिद वतन पर,
वो सदा के लिए खिले रह जाते है।

कहानियाँ इनकी सबको है भाती,
जब मिलता है मौका,
कुछ इनके जैसे बनने का,
ये हमारी प्रेरणा शक्ति बन जाते।

बच्चे Freedom Fighters पर लिखी गई इस कविता को 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) व 26 जनवरी(गणतंत्र दिवस) में प्रयोग कर सकते है। देश के अमर शहीदों को एक बार फिर से नमन। मौलिक रचनाऔं को पढने के लिए Blog को फोलो जरूर करें।

Hindi Poem on Freedom Fighter
Picture Credit: WallpaperSafari

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हिमालय को हम पर्वतों का राजा कहते हैं। इसकी सुन्दरता और दर्द पर लिखी गई यह Hindi Poem आपको बहुत से Social Issues पर सोचने के लिए  मजबूर करेगा।


Poetry on Mountains in Hindi - पर्वतों पर हिन्दी कविता

तेरी खूबशूरती का दीदार करते हैं,
जब भी मन हो घूमनें का
तेरी ही बात करते हैं
ख्यालों में हम हरदम
तेरी वादियों में होते हैं।
ये पहाड़ियाँ होती ही ऐसी हैं,
सबको अपना बनाती हैं।

हम जाते हैं बिताने
 सबसे हँसी लम्हा पहाड़ों पर।
पर कभी ना सोचा हमने
क्या छोड़कर बदले में आते हैं।

चार धाम, पंच प्रयाग,
या फिर कश्मीर की हँसी वादियाँ।
सब कुछ तो मिलता है इन पहाड़ों में
फिर भी हम लौटते हैं ऐसे,
जैसे फिर वापस ना आयेंगे।
फैलाते है हर तरफ कचरा,
कहीं प्लासटिक तो कहीं बोतल।
क्या हम घूमने थे आये,
या कोई दुश्मनी पुरानी है।

सहम जाते हैं ये पर्वत,
जब देखते हैं यह मंजर।
खूबशूरत है जो दुनिया
उसे यूँ बरबाद ना करना।
आओ जब भी पहाड़ों पर
इसे बच्चों की तरह सहेज कर रखना।

Poem on Mountains in Hindi

पहाड़ों पर बढता प्लासटिक कचरा यहाँ की सुन्दरता व पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुँचाता है। उम्मीद है यह Hindi Poem on Mountain आपको पसंद आयेगी, और आप जब भी पहाड़ों पर घूमने जायें तो अपना कचरा खुले में फेंक कर ना आयें।

Hindi Poem on Mountains - हिमालय पर्वत पर बन रही सड़को पर कविता


इन पहाङी वादियो में धूल सी क्यों छा गयी,

यह विकास की आंधी कैसी आयी है।

दरक रहे हैं न जाने कितने हिस्से मेरे पहाङ के,

ये टूटते पत्थर, फिसलती मिट्टी, न जाने कब कहर बन जायेगी।


प्रकृति को प्रकृति ही जुदा करने की

किसने यह तरकीब बनायी है।

सङकों के माया जाल में,

हम बन बैठे अनजान हैं।


ये कल-कल करती नदियाँ, 

हर पल गिरते झरने,

और पुराने बजारो की रौनक,

कहीं गुम होते जा रहे हैं।

वो सूरज का ढलना, पहाङो में छिपना,

धूल की चादर में सिमटता जा रहा है।

चिङियों का चहकना, नदियों का कल-कल,

मशीनी आवाजों से दबता जा रहा है।

Hindi Poem om Mountains, Hindi Poem on Pain of Mountain

फिर आती है वर्षा, करती है तांडव,

मंजर तबाही का हमको है दिखाती।

रुलाता है हमको हर छोटा नुकसान अपना,

पर पेङों का कटना, बेघर जानवरों का होना,

क्यों नहीं हमको हे रुलाता।


जिन्दगी जीने का मायना बदला है हमने,

हर जगह मोल- भाव करते हैं यूँ ही।

विकास की आँधी चली कुछ इस कदर है,

भूल जाते हैं हम, हमको इसी प्रकृति ने है बनाया।


संजोयेंगे हम तो, प्यार करती रहेगी,

बिखेरेंगे हम तो, सन्तुलन वो खुद है बनाती।

इंतजार क्यों उस दिन का है करना,

जब बनना पड जाये मूकदर्शक हमको।


यह कविता हिमालय पर्वत पर हो रहे निर्माण कार्यो की वजह से हो रहे नुकसान पर आधारित है। एक तरफ विकास कार्य आवश्यक भी है पर इसकी वजह से पहाड़ो की सुन्दरता खोती सी जा रही है। इसी दर्द को बया करती है Himalaya Parvat पर लिखी यह कविता।


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