देश के वीर जवानों की सुनी बहुत कहानी है,
चलो आज एक पन्ना पलटे,
कहानी वीरांगनाओं की सुनते हैं|
ये देश की वो वीर नारियां है,
जो लड़ी कभी मां बन कर,
जो खड़ी हुई बहन बन कर,
जिसने बेटी बन कर उन सपनों को स्वीकार किया|

चलो पन्ने पलटते हैं , ऐसी ही साहसी बेटियों के|
कुछ ने कल ही तो शादी का जोड़ा देखा था,
कुछ ने दो क्षण संग बिताए थे,
कुछ अभी एक नन्ही सी बच्ची को इस दुनिया में लाई थी,
कुछ दो दिन पहले ही राखी बांध के आई थी|

यह सब दृढ़ संकल्प खड़ी रही,
जब भी एक जवान शहीद हुआ|
ये ज्यादा कुछ ना बोली थी,
पर इन्होंने भी तो बलिदान दिया|
ठानी उन सपनों को सच करने की,
जो देखे थे बलिदानी वीरों ने|
सेवा भाव से हर काम किया,
और देश का ऊंचा नाम किया|

चलो सलाम करते हैं, भारत की हर एक बेटी को,
जिसने हर  क्षण, हर रूप  मैं सर्वोच्च बलिदान दिया|

You may also like this Hindi Poem:

मैं अनपढ़ हूँ, अच्छा हूँ;
मुझे बातें बनानी नहीं आती।
मैं देखता हूँ, दुनिया को;
मुझे झूठी दुनिया बनानी नहीं आती।
कम बोलता हूँ, सच बोलता हूँ;
मुझे अफवाह फैलानी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे धोखाधड़ी नहीं आती।
कमा लेता हूँ, मैं मेहनत से;
मुझे कागजी चोरी नहीं आती।
हुनर तो सीख लेता हूँ;
पर जालसाजी नहीं आती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे ये खबरें समझ नहीं आती।
समझता हूँ, मैं दर्द सीने का;
उस पर राजनीति करनी नहीं आती।

समझता हूँ, देश के खतरों को;
इसलिए जवान की इज्जत करनी आती है।
शराफत ही अमानत है;
उसमें मेरी गरीबी आड़े नहीं आती।
समझ थोड़ी सी कम होगी;
पर शराफत नहीं जाती।

अच्छा है, मैं अनपढ़ हूँ;
मुझे देश से गद्दारी नहीं आती|

 मुझे इल्म है बेटा,
सफर जिंदगी का तेरा कुछ छोटा रह गया।
तू जानता है,
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना है।
तू ना कर फिक्र बेटा,
तुझे अब मेरे साए में आना है।
तू जिंदा था, तू जिंदा है,
ये दुश्मन को बताना है।
लहू के हर एक कतरे का बदला लेकर आएंगे,
अब शहादत आने से पहले,
हर एक दुश्मन को उसके घर में गिराएंगे।
सबक होगा ऐसा,
कि दुश्मन की रूह कांप जाएगी।
जब  भी जिक्र होगा तेरा,
तेरा जज्बा याद आयेगा।
मेरी धरती का हर एक हिस्सा,
तेरे किस्से सुनाएगा|

इसी श्रृँखला में पढे : वीर सपूतों के नाम

देख माँ तेरा आंचल रंग आया हूँ,
बच्चों को तेरी बाँहों में रोता छोड़ आया हूँ।
शिकायत तो उसको होगी ना माँ,
बिन बताए जिसे मैं चला आया हूँ।
जिंदगी के सफर में सबको अकेला छोड़ आया हूँ,
तुझसे मिलने को उस बूढ़ी मां को अकेला छोड़ आया हूँ।

मैं अभी थका तो नहीं था,
पर तेरे कदमों में जा ये लगा आया हूँ।
मैं मिटाकर सब रंग एक घर के,
तेरे गुलिस्तां को दुश्मनों से बचा आया हूँ।

मेरे भाई, मेरा बदला तो ले आएंगे,
दुश्मन को उसके घर में कुचल आएंगे।
ना उठा पाएगा नजर फिर से,
इस बार वो ऐसा कुछ कर आयेंगे।

मैं आगे बढ़ा, तो पीछे विरासत शहादत की छोड़ आया हूँ,
मैं अकेला चला था, आज अपने पीछे सैकड़ों को खड़ा कर आया हूँ।

मैंने गुरबत के दिनों में,
इधर देखा, उधर देखा,
पर अपने अंदर नहीं देखा|

छिपे थे मोती मुझ में,
पर अपने अंदर के समंदर को छोड़,
मैंने हर एक छोटी-बड़ी दरिया को देखा|

छुपी थी आशा की किरण मुझ में,
पर हर बार मैंने आसमा की ओर देखा|

मैंने समझाने वाले लोगों की ओर देखा,
पर जिस दिल को समझाना था, 
कभी उस और नहीं देखा|
Inspiration Poem, Hindi Poem, Self-Motivation


कहीं एक बार फिर गिर ना जाऊं,
इस डर से मैंने ऊंचाइयों को नहीं देखा|

दौलत-शोहरत देखी मैंने लोगों की,
पर उनके जज्बे को नहीं देखा|

मैंने हर एक चीज देखी गुरबत के दिनों में,
पर अपने अंदर बहुत देर से देखा|

क्या सच में अपने चाहने वालों से
प्यार जाहिर करने का कोई त्यौहार होता है!

क्या यह मुमकिन है कि एक दिन बाहों में भरने का,
और एक इजहार करने का पहले से मुकर्रर होता है?

क्यों बस प्यार एक हफ्ते ही सबकी जुबान पर होता है,
और फिर पूरे साल हमको क्या करना होता है?
Romantic Poem, Valentine Day, Shayari
True Love - Ishqiya
क्या जो सबको दिखाया जाए वहीं बस प्यार होता है,
कैसे एक प्याली कॉफी के पीने से प्यार पुख्ता होता है,
कैसे सिनेमाहॉल में चुप बैठे रहने से यह प्यार आगे बढ़ता है?

छलकते जाम और धूए मैं धुंधली शाम,
जहां पर शोर सबसे ज्यादा होता है,
ऐसे में जो बातें की उससे क्या एतबार बढ़ता है?

मुहब्बत तो एक आजाद ख्याल है,
मैं इसको कैसे चंद दिनों में बांट लूं।
मुहब्बत तो दिल का सच्चा जज्बात है,
मैं कैसे इसे वेलेंटाइन डे में बांध लूं।

नेचर पर कविताएँ

बचपन की यादों पर कविताएँ