Attitude Shayari in Hindi - फिदरत


जो हुआ पुराना, 
उसको खंडहर  समझ लिया।
नए की आदत हुई ऐसी, 
कि इंसान को चादर समझ गया।

डोर रिश्तों की वैसे ही होती है नरम,
हम बिना परवाह के उस से पतंग बाजी करने लगे।
एक पल से छोटा कुछ भी नहीं, 
उस पल में रिश्तों को खोने लगे। 

जिक्र संचे प्यार का करो,
 तो क्यों इतने नाम साथ होते है।
जिंदगी यूं रूठी हे, 
घर श्मशान हो गया।
ये हुनर न जाने हमको कहाँ ले जायेगा,
चाँद बहुत दूर हे प्यारे, 
समंदर उसे कहाँ छु पायेगा।
कुछ और नए की चाहत में,  
तू सब कुछ खो जायेगा।
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Hindi Kavita शायर और शायरी

 

हर किसी में छुपा हे एक शायर,
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हम सभी ने कभी न कभी कुछ न कुछ गुनगुनाया होगा।
ये बिल्कुल भी जुदा नहीं इबादत से,
कोई रोज करता है,  तो कोई खास मौकों पर।
दो अलफाज ही सही, पर खुद की कोशिश जरूर होती है।
जब प्यार परवान पर हो, तो शायरी हर बात में होती है।
ये कोई साज नहीं, जो बिन सितार मजा ना दे।
ये तो दिल की आवाज है, जो दिलों तक बदस्तूर जानी है।
जब बात दिल से हो, तो चन्द अलफाज काफी होते है,
जो लफ्जों से न हो बयान, वो कलम बयान करती है।
इस कुदरत की देन शायरी,
जब दिल उदास हो तो लिख देते है शायरी,
और जब मौसम हसीन हो तो सुना देते हे शायरी।

Sad Love Kavita - मेरा इश्क मुशाफिर की तरह


इश्क के सफर में कुछ दूर हम भी चल पड़े,
राहे और भी तन्हा होने लगी, जब लगा मंजिल की और चले।
ये सफर रख कर लिबास आंखों पर चलने को हे बना,
हम तो अपनी आँखें ही  उनको देकर चले।

दर्द राहो के पत्थर से कम और फूलो से ज्यादा मिलता हे इसमें,
मंजिल बाहे फैलाये कर रही होगी इंतजार मेरा,
इस भ्रम में हम तूफानों से लड़े, और चलते रहे।
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हर राही की एक मंजिल जरूर होती है,
कदम उस और बढे तो सबकी ख्वाहिश मुकम्मल जरूर होती है।
हम तो जमी से समंदर की और चले,
जैसे-जैसे साहिल से दूर गये, डूबना हमारा तय हो चला।

जिंदगी का ये खेल इतने में ना थमा,
एक चाँद को चूमती लहर ने  जमी पर दे पटका।
आँखें खुल ना जाये इस बात से डरता हूँ,
आज भी बन्द आँखों से उसे ढूँढता हूँ।

ऱाहे वीरान की वीरान रह गयी,
मंजिल तो वही थी, पर उसको पाने की जुस्तजू दिल में ही रह गयी। 

साणाजिक विषयो पर कविता - आजादी


आजाद इंसान क्यों दिखता नहीं मुझे इस जहान में,
आजाद तो ये हवा हे, जो एक ही तो है तेरे वतन और मेरे वतन में।
आजाद तो ये नदी है, जिसकी हर प्यासे को तलास है,
तेरे वतन में और मेरे वतन में।

आजाद तो हे ये सुगंध फूलो की,
जो एक सी हे, माली के लिए भी और मालिक के लिए भी।
आजाद हे ये पंख फैलाये हुए परिंदे,
जो हर रोज चहकते हे, हमारे चमन में।

आजाद हर वो चीज हे, जो करती नहीं भेद-भाव है,
जिस पर पाबंदी नहीं हे, मजहब, सरहद या रंग-बोली की,
आजाद वो हे, जो अपनो का भी है, और सब का भी हे अपना।

                                      सभी को 70वे स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ।

नेचर पर कविताएँ

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