Romantic Hindi Poem on Old Memories - नयी महफिल, पुराना मेहमान


जिन्दगी मेरी रंग-ए-महफिल है, 
शुक्रिया इस में समा जलाने के लिए।
बहुत बेजान सी ये शाम थी, 
शुक्रिया इसमें रौनक लाने के लिए। 

बहुत दूर तक देखा तो तनहाई थी,
 तुम संग बहार ले आयी हो। 
तेरी कानों की बाली पर आ रुकी है सभी की नजर, 
घुंघरू की छनक हर दिल में रवानी लायी है।  
आज वो भी चरचे हमारे करते हे, 
जो कल तक दूरी बनाये बैठे थे।
तेरे चेहरे की चमक के सामने लगता हर कोई परछायी है, 
तेरे आने से मेरी मुस्कान  लोट आयी है।
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ऊफ ये तेरा यौवन, ये जवानी की छटा, 
मार ही डालेगी उसको जिसने नजर मिलायी है।
लोग कहते है शायराना आज मेरा अन्दाज हे, 
पर किसी को खबर नहीं ये अलफाज तुम से ही तो  चुराये है।
तुझको छू के गुजरने वाली ये सर्द हवा, 
मेरे सीने में चिंगारी मुहब्बत की जगा देती है। 
लगता हे, आज दिन है मुहब्बत में शहादत पाने का, 
इसलिए बिन कुछ बोले ही तू इतने करीब चली आयी है।

ये तारो से सज़ा आसमां और चाँद खुद धरती पर उतर आया है। 
न तो ये दिन ईद का, न आज तीज आयी है, 
न जाने फिर क्यों दिंलो के दरमियान इंतजार की घड़ी आयी है।
शुक्रिया इस दिल में दस्तक देने के लिए, 
तेरे आने से ही इस महफिल जान आयी है। 

जिन्दगी मेरी रंग-ए-महफिल है, शुक्रिया इस में समा जलाने के लिए।
बहुत बेजान सी ये शाम थी, शुक्रिया इसमें रौनक लाने के लिए। 

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Poem No.9 - परिचय का नया अंदाज 

अदभुत सुन्दर है देश हमारा,
एक और अडिग हिमालय इसके, दूजी और सिंधु हे लहराता।  
कही शिशिर हे, कही नरम हे, कही भीषण गर्मी सूरज हे बरसाता।
प्रकृति अलग, अलग-अलग हे बोल हमारे, फिर भी हम सब ने मिलकर ये प्यारा देश बनाया।

सब से ज्यादा धर्म यहाँ पर, उस से भी ज्यादा धर्म गुरु है,
सभी धर्म का सम्मान यहाँ पर, हर इंसान बराबर है।
हर त्यौहार मिलकर हे मानते, मेल-मिलाप हे इतना ज्यादा कि देश प्रेम ही धर्म कहलाता।

मैं जन्मा इस धरती पर, ये मेरा सौभाग्य दिखाता,
पहली सभ्यता बसी यही पर, ग्रन्थों में रचा गौरवशाली इतिहास हमारा।
हम सब भारत कहते हे इसको, ये हे हमको जान से ज्यादा प्यारा।

Simple Hindi Poem on Social Issues - परिचय का नया अंदाज 


दादा जी बैठे थे गांव की चौपाल पर, देख एक नन्हे बालक से पूछे,
बेटा अपना  परिचय दो, लपक कर बालक बोला,
लगता हे टी.वी. नहीं हे घर में, हम एम.एल.ए. के बेटे है।

कक्षा के पहले दिन जब शिक्षक ने छात्रौ का परिचय पूछा,
तो ये जान हैरान था, कि सभी एक ही बिरादरी के है,
कोई नेता जी का पास का रिश्तेदार, तो कोई दूर का निकला।

ट्रैफिक पुलिस ने जिसको भी रोका, उसके फोन में नेता जी का नंबर निकला,
इस तरह पूरा देश डिजीटल भारत बनने की और चला।
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घरवालों ने बच्चों को परिचय देने का नया तारिका सिखाया,
कोई पद जब ना हो, तो माँ-बाप को नेता प्रति-पक्ष ही कहना।

इस रफ्तार से सब बदला तो, नेता ही एक जाति रह जायेगी,
और इनके रिश्तेदार होना ही एक पहचान रह जायेगी।

हर सवाल का जब ये ही एक जवाब रह गया होगा,
तो समझ जाना देश का दिवाला निकल गया होगा।

नेता तो देश का सेवक है, उसको बस सेवा करने का ही अधिकार दो,
और उसकी शक्ति और नाम से, अपनी खुद की पहचान को न मिटाओ।

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मैंने चिरागों को तूफानों से लड़ते देखा है,
दिन दीवाली के मोम पिघल जाने पर भी लो को जलते देखा है।
दिन खुशी का हो तो अपाहिज को भी झूमते देखा है,
माँ के साये में हर बच्चे को हंसते देखा है।
गुरूर उनको है सानो शौकत का,
मैंने तो माँ की कदमों की आहट से सोना बरते देखा है।
मेरी गुरबत को तू कौड़ियो में न गिन,
मैं उस सल्तनत का शहजादा हूँ , जो
मेरी माँ ने सपनों मैं देखा है।  



जब हम इश्क को सही मंजिल नही दे पाते है तो अकसर हम कुछ हारा और थक महसूस करने लगते है, उसी उदासी पर यह Sad Hindi Poem लिखी गई है।

मैंने किस हालात में ये शेर लिखा होगा,
ये तू मेरे लिखने के अन्दाज से समझ जायेगा।
मैंने कितना इंतजार किया है तेरा,
ये तू मेरी जिन्दगी की रफ्तार से समझ जायेगा।

चलता फिरता एक आईना हूँ मैं,
तुझको तेरा असली चेहरा दिखा जाऊंगा।
अपनी जरूरत के लिए लोग बनाते हे दोस्त यहाँ,
मैं ऐसे दोस्तों के लिए भी ये जिंदगी दाव पर लगाऊंगा।
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दिल मेरा खंडहर हो चुका हे,
अब इस में किसी को पनहा न दे पाऊंगा।
हमने अपनी जिम्मेदारियों का नया नाम प्यार रखा है,
इस से मन का वहम हे कि हम इश्क में है,
और दिल को सुकून हे कि कोई इसको तोड़ेगा नहीं।

मुझको समझना हो तो मेरी मुस्कान को पढ़ लो,
और मेरे पास रहना हो तो मेरी खामोशी से दोस्ती कर लो।

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